आयुर्वेद के नियम और परहेज
आयुर्वेद एक प्राचीन और प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली है। इस चिकित्सा पद्धति का प्रयोग सदियों से पूरे भारत में किया जा रहा है। कई हज़ार वर्षों से आयुर्वेद का इस्तेमाल स्वास्थ्य के तमाम गंभीर रोगों के उपचार के लिए होता चला आ रहा है। आयुर्वेदिक औषधियां जिनका शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
मनुष्य के शरीर में तीन मुख्य तत्व होते हैं- वात, पित्त और कफ।
जब शरीर में इन तत्वों का संतुलन बिगड़ जाता है तो व्यक्ति को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आयुर्वेद में कई ऐसी औषधियां है जिनसे गंभीर से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
इसके साथ ही आयुर्वेद में कुछ ऐसे नियम बताए गए हैं जिनके अभ्यास से हमारे स्वास्थ्य को विशेष लाभ मिलता है। आयुर्वेद में बताए गए नियमों और परहेजों का पालन करके हम स्वस्थ कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत पा सकते हैं।
आज के इस लेख में हम आपको आयुर्वेद में बताए गए नियमों और परहेज के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे-
आयुर्वेद के नियम
सुबह जल्दी उठें
आयुर्वेद के अनुसार सुबह सूर्योदय से पहले ही हमें बिस्तर छोड़ देना चाहिए। आयुर्वेद में माना गया है कि सूर्योदय के समय वातावरण अमृत के सामान शुद्ध और निर्मल होता है जिससे हमारे शरीर को ताजगी मिलती है।
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नित्य क्रिया है जरूरी
प्रतिदिन सुबह खाली पेट 2-3 गिलास गुनगुना पानी पीना स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी होता है। एक गिलास गुनगुने पानी में नींबू का रस मिलाकर पीने से मोटापा कम होता है तथा अतरिक्त चर्बी कम होती है।
आयुर्वेद के मुताबिक सुबह उठते ही सबसे पहले मल-मूत्र त्याग करना चाहिए। सुबह पेट साफ होने से हमारे स्वास्थ्य को बेहतर परिणाम मिलते हैं। इससे शरीर में हल्कापन और स्फूर्ति रहती है और दिनभर के कामों के लिए ऊर्जा बनी रहती है।
रोजाना योगाभ्यास और प्राणायाम करें
आयुर्वेद के अनुसार रोजाना कम से कम 30 मिनट के लिए योगाभ्यास या प्राणायाम करना चाहिए। इससे स्वास्थ्य को लाभ होता है और तंदुरस्ती प्राप्त होती है।
तेल मालिश करें
आयुर्वेद के अनुसार प्रतिदिन सरसों, नारियल, तिल या अन्य किसी भी औषधीय तेल से मालिश अवश्य करनी चाहिए। शरीर की कम से कम 15 मिनट तेल मालिश करनी चाहिए। इससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
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दिन में अधिक से अधिक पानी पीएं
आयुर्वेद के अनुसार दिन में कम से कम 3 से 4 लीटर पानी पीना चाहिए। इससे शरीर में पानी की कमी नहीं होती है और दिनभर के कामों के लिए ऊर्जा मिलती है। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकलते हैं। ये तत्व पसीना अथवा मूत्र के रूप में शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
शुद्ध और पौष्टिक आहार लें
आयुर्वेद के अनुसार सुबह की शुरुआत पौष्टिक नाश्ते से करनी चाहिए।
आयुर्वेद में बताया गया है कि सुबह उठने के 1-2 घंटे के अंदर नाश्ता कर लेना चाहिए।
नाश्ता पौष्टिक व हल्का होना चाहिए।
नाश्ते के रूप में फल जैसे सेब, पपीता, केले, अनार आदि,
अंकुरित दाल जैसे मूंग, चना, मूंगफली आदि,
सूखे मेवे जैसे बादाम, किसमिस, मुनक्का, अंजीर, पिस्ता, काजू आदि तथा
नींबू रस, काढ़ा, फलों के रस जैसे मौसंबी, अनार, सेब, बेल, अनानास, नारियल पानी आदि के रस लेने चाहिए।
इससे दिन की शुरुआत अच्छी होती है और शरीर को ऊर्जा मिलती है।
दोपहर के भोजन के साथ छाछ जैसी वस्तु का सेवन करना चाहिए, यह पानी की कमी को पूरा करती है तथा भोजन को पचाने में मदद करती है।
इसके अलावा शाम को हल्का नाश्ता फल या चाय का सेवन कर सकते हैं।
रात्रि के भोजन में हल्का व आसानी से पचने वाला खाना खाना चाहिए तथा सोने से पहले एक गिलास हल्दी वाला दूध पीने से क्षीण हुए ऊर्जा व शक्ति वापस आती है।
भोजन के बाद पानी ना पिएँ
आयुर्वेद के अनुसार भोजन करने के एक घंटे पहले भरपेट पानी पी लेना चाहिए और भोजन के आधे घंटे बाद तक पानी नहीं पीना चाहिए। इससे पाचन क्रिया ठीक रहती है और खाना पचने में मदद आसानी होती है।
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भोजन के बाद क्या नहीं करें
आयुर्वेद में बताया गया है कि खाना खाने के बाद ज्यादा मेहनत वाला काम या स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है।
भोजन के बाद दिन काम से काम एक घंटे विश्राम करना चाहिए।
धूप में बैठें
आयुर्वेद के मुताबिक चाहे सर्दी हो या गर्मी, रोजाना कुछ समय धूप में बैठना बहुत जरूरी है। इससे शरीर को विटामिन डी मिलता है और हड्डियां मजबूत होती हैं।
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अच्छी नींद है जरूरी
आयुर्वेद में बताया गया है कि स्वस्थ रहने के लिए अच्छी और पर्याप्त नींद लेना भी बहुत जरूरी है। एक व्यक्ति को कम से कम 8-9 घंटे की नींद लेनी चाहिए। इससे शरीर ताज़ा और ऊर्जावान बनता है।
सोने से पहले ठंडे पानी से हाथ-पैरों को धोना चाहिए, इससे नींद अच्छी आती है।
आयुर्वेद के परहेज
परहेज आयुर्वेद में औषधि के अनुसार नहीं किया जाता बल्कि यह रोगी की दशा के अनुसार किया जाता है। अतः कोई औषधि रोग में वृद्धि को कम करने वाली होती है तो कोई औषधि रोगी की स्थिति को बिगड़ने से रोकती है।
आयुर्वेद में नियमों के साथ-साथ कुछ परहेज भी बताए गए हैं। आयुर्वेद के अनुसार कुछ ऐसी चीज़ें होती हैं जिनका हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है इसलिए ऐसी चीज़ों से परहेज करना चाहिए।
आइए जानते हैं आयुर्वेद के मुताबिक स्वस्थ रहने के लिए किन चीज़ों का परहेज करना चाहिए –
औषधि के सेवन के समय मिर्च-मसालेदार और खट्टी चीज़ों व तैलीय वस्तुओं से परहेज करना चाहिए।
आहार विहार के दृष्टिकोण से पथ्य वस्तुओं का सेवन करना चाहिए और अपथ्य का त्याग करना चाहिए।
फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए, इससे गैस्ट्रिक जूस का फ्लो बंद हो जाता है। गर्मी में साधारण पानी का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
कभी भी फल के साथ दूध का सेवन नहीं करना चाहिए। कुछ फलों जैसे केला, चीकू, पपीता, आंवला, बेल आदि के साथ सेवन कर सकते हैं, जो अपवाद हैं।
आयुर्वेद के अनुसार कभी भी ठंडी और गर्म चीज़ का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए।
बताया गया है कि दूध के साथ नमक वाली चीज़ का सेवन नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेदिक औषधि का सेवन करते समय धूम्रपान व शराब नहीं करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार किसी भी चीज़ की अति बुरी है। किसी भी दवा, जड़ी-बूटी या अन्य चीज़ का अत्यधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
चाय-कॉफी के सेवन का आयुर्वेद में परहेज माना गया है। नींबू की चाय का सेवन करना चाहिए।
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आयुर्वेद में कब कौनसी चीज का करें परहेज –
चैत्र मास में गुड़ से परहेज
बैशाख में तेल से दूरी बनाए
ज्येष्ठ में महुआ नही खाएं
अषाढ़ में बेल या बील निषिद्ध
श्रावण में दूध की मनाही
भाद्रपद में मही, छाछ नहीं खाए
अश्विन (क्वार) में करेला से परहेज
कार्तिक मास में दही नहीं खाएं
मार्गशीर्ष (अगहन) में जीरा निषेध
पौष में धनिया से परहेज करें
माघ में मिश्री से दूरी
फाल्गुन में चना नहीं खाएं
आयुर्वेद में कहा जाता है कि यदि इनका परहेज नहीं करता हैं तो व्यक्ति मारता नहीं है तो बीमार तो अवश्य पड़ता है।
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आयुर्वेद विशेषज्ञ
श्री मदन मोहन शर्मा