Bel.jpgAEGLE MARMELOS

बेल का परिचय
Introduction of Bel in Hindi

बिल्व या बेल के बारे में तो सभी जानते होंगे क्योंकि यह सभी जगह मिल जाता है। सावन का महीना हो और बिल्व पत्र के बारे में बात न हो, ऐसा हो ही नहीं सकता है, क्योंकि इस मौसम में बिल्व (Bel ke fayde) बहुत ही उपयोगी है। यह महीना भगवान शिव का महीना है तो बिल्व के पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाए जाते है।
यह एक आध्यात्मिक पेड़ है। बेल वृक्ष भारत में सभी जगहों में पाया जाता है। बिल्व पत्र को भगवान श्री शिव शंकर और माता पार्वती की पूजा में लिया जाता है, इसलिए यह पेड़ शिवालय के आस पास अधिक मात्रा में मिलता है। बिल्व के पत्ते पूजा के लिए और फल खाने या रस का सेवन करने के लिए काम में आता है। बिल्व या बेल के फल (Bel ke fayde) का मुरब्बा बनाने में प्रयोग किया जाता है।

बेल के प्रयोग
Health Aegle marmelos Benefits in Hindi

इसके अलावा बेल (Bel ke Fayde in hindi) को औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। बिल्व का प्रयोग दस्त, पीलिया, मधुमेह, पेचिस, आंखों के रोग व शरीर की ठंडक के लिए किया जाता है।
औषधि के रूप में यह एक दिव्य व चमत्कारिक वृक्ष है।

बेल के अन्य भाषाओं में नाम 
Name of Aegle Marmelos in Other Language

बिल्व या बेल को कई नामों से जाना जाता है जैसे श्रीफल, कांटे होने के कारण कंटकी, सदाफल, तीन पत्तियों का समूह होने के कारण त्रिशिख, पित्त रोग में लाभकारी होने के कारण पितफल, बिली (Bel ke fayde in Hindi) आदि के नाम से जाना जाता है।
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Bael

बेल का पेड़ कैसा होता है ?
How Looks Aegle Marmelos Tree in Hindi

बिल्व के पेड़ में कांटे होते है, इसके एक पत्ते में तीन पत्तियां  होते है, इसकी पत्तियां कई महीनों तक ताजा रहती है। यह पत्तियां 5-6 महीनों तक हरी रहती है। बेल में हरे एवं सफेद रंग के फूल आते है तथा इसमें एक कठोर खोल वाला हरे रंग का गोलाकार का फल आता है, जो धीरे धीरे पकने पर पीला हो जाता है।
कहा जाता है कि अगर इस पीले फल को पेड़ से तोड़ा नहीं जाए तो यह पुनः हरा हो जाता है।
बेल फल के अंदर गुदा व बीज निकलते है। इसका गूदा पीला या भुरा होता है जो खाने में मीठा, हल्का कड़वाहट वाला व स्वादिष्ट लगता है।
इसमें फूल व फल जनवरी से मई तक आ जाते है।

रोगों में बिल्व या बेल के फायदे व उपयोग –
Bel ke Fayde in hindi

हृदय रोग में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bel in Heart Disease in Hindi

गाय के शुद्ध देशी घी में बेल के पत्तों के रस का सेवन करने से हृदय रोग में लाभ मिलता है।

आंखों के विकार दूर करने में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bilva in Eliminating Eye Disorders in Hindi

आंखों में तकलीफ होने पर बिल्व के पत्तों को पीस कर आंखों के ऊपर लेप करे अथवा बिल्व के पत्तों पर घी लगाकर आंखों को सेकना चाहिए।

रतौंधी रोग में बेल के फायदे –
Benefits of Bel or Bilva in Night Blindness in Hindi

ताजे बिल्व के पत्तों को काली मिर्च के साथ पीस ले और इस पेस्ट को पानी में मिला लें।
इसके बाद मिश्री मिलाकर पानी का सेवन सुबह शाम करने से रतौंधी रोग में लाभ मिलता है।
और पढ़ें – केले के फायदे

सिर दर्द में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bel in Headache in Hindi

सिर दर्द एक आम समस्या है। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई किसी न किसी चिंता से ग्रस्त रहता है। जो सिर दर्द का कारण बनता है। सिर दर्द के लिए ताजे बिल्व के पत्तों को पीसकर सिर पर लगाने से सिर दर्द में लाभ मिलता है।

पेट दर्द या पेट संबंधी समस्या के लिए –
Bel For Stomach Ache or Stomach Problem in Hindi

बिल्व के पत्तों के रस में मिश्री व काली मिर्च पानी में मिलाकर पीने से पेट दर्द में आराम मिलता है। इसके अलावा अरंडी, चित्रक की जड़, बिल्व व सौंठ को पीसकर इसमें हिंग व सेंधा नमक मिलाकर लेने से पेट दर्द मिट जाता है।

बेलगीरी चूर्ण, छोटी पीपली, वंशलोचन व मिश्री बराबर मात्रा में लें। इसका कुल घटक 10 ग्राम से अधिक नहीं हो। इसके बाद इसमें अदरक का रस घटक की कुल मात्रा के बराबर मिलाकर पानी में उबाल लें। गाढ़ा होने पर इसका दिन में 3 बार सेवन करने से पेट संबंधी रोग दूर होते है और पाचन शक्ति बढ़ती है।

भूख बढ़ाने के लिए 100 ग्राम बेलगिरी चूर्ण में, 25 ग्राम सौंठ का चूर्ण, 2-5 ग्राम इलायची का चूर्ण व 50 से 75 ग्राम मिश्री का पाउडर आदि को मिला ले। इस मिश्रण का एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से भूख बढ़ती है और पाचन शक्ति मजबूत होती है। पेट से संबंधी समस्या समाप्त हो जाती है।

बिल्व के फल को खाने से या इसके फल का रस या शर्बत या ज्यूस का सेवन करने से भी पेट अच्छा रहता है, पाचन शक्ति बढ़ाता है और यह दस्त में भी आराम देता है।

बिल्व के फल के गूदे को पानी में मिलाकर इसका रस निकल लें। इसके बाद इसमें मिश्री, इलायची, लौंग, काली मिर्च मिलाकर इसका शर्बत बना लें। इस शर्बत का सेवन करने से उल्टी, पेट रोग, कब्ज व जलन में लाभ मिलता है।

सीने में दर्द या जलन होने पर –
Beel Benefits in Chest Pain or Burning Sensation in Hindi

  • बिल्व के पत्तों का रस, काली मिर्च, सेंधा नमक व मिश्री को पीसकर जल के साथ सेवन करने से सीने में होने वाली जलन में लाभ मिलता है।
  • इसके अलावा बिल्व के ताजा 10-20 पत्तों को रात को एक बर्तन में पानी में रख दे और सुबह होने पर मिश्री पानी के साथ या सादा पानी का दिन भर सेवन करे। इससे जलन में लाभ मिलता है। मिश्री के पानी के साथ अधिक लाभ होता है।

और पढ़े – कढ़ी पत्ता या मीठे नीम के फायदे 

हैजा रोग में बिल्व के फायदे – 
Benefits of Bael in Cholera Disease in Hindi

बेलगिरी व गिलोय को कूटकर इसका काढ़ा बना लें और इसका सेवन करने से हैजा रोग में लाभ मिलता है।

अगर हैजा गंभीर है और उल्टी दस्त अधिक हो तो इस काढ़े में जायफल, कपूर और छुहारा कूट कर मिला कर इसका काढ़ा बना लें और इसे हर एक घंटे के बाद थोड़ा थोड़ा पिलाते रहे, इससे हैजा रोग में लाभ मिलता है।

पीलिया रोग में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bilva in Jaundice Disease in Hindi

पीलिया व एनीमिया रोग में काली मिर्च और बिल्व पत्र के रस का सेवन करने से लाभ मिलता है।

मधुमेह या डायबिटीज रोग में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bel in Diabetes in Hindi

मधुमेह रोगी को बिल्व के पत्तों का रस सुबह खाली पेट पानी में डालकर पीने से लाभ मिलता है। इस रस के साथ काली मिर्च को पीस लेना चाहिए। इसका सेवन मधुमेह रोग या डायबिटीज में लाभ देता है।

एक मिट्टी के बर्तन में एक गिलास पानी डाले। 8-10 बिल्व के पत्ते, हल्दी का छोटा टुकड़ा या पिसी हुई हल्दी आधा चम्मच, 3-4 इंच  टुकड़ा गिलोय, 2 हरड़, आधा चम्मच पाउडर बहेड़ा और थोड़ा सा आंवला चूर्ण इस सब को अच्छे से कूट कर मिला लें और इस मिट्टी के बर्तन में डाल दें इसके बाद इसे रात भर भीगने दे। सुबह इसका पानी  मसलकर व छान कर पी ले। इसका आधा पानी सुबह खाली पेट व आधा शाम को पिएं। यह मधुमेह में आराम देता है।

तुलसी, नीम व बिल्व के 1-2 पत्तों को पीसकर जल के साथ सेवन करने से मधुमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।

मूत्र रोग में बिल्व के फायदे –
Benefits of Bael in Urinary Disease in Hindi

7 ग्राम सौंठ में 15 ग्राम बेल गिरी चूर्ण मिलाकर इसका काढ़ा बनाकर पीने से मूत्र रोग में लाभ मिलता है।

शारीरिक कमजोरी दूर करने में व इम्युनिटी बढ़ाने में –
To Remove Physical Weakness and Increase Immunity in Hindi

बेलगीरि चूर्ण का सेवन मिश्री मिले दूध के साथ रोज रात को सोने से पहले करने से शारीरिक कमजोरी, खून की कमी व वीर्य की कमजोरी को दूर करता है।

बिल्व के गुदे का रस या शर्बत पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है। अगर इसका सेवन रोज करना है तो बिल्व के फल के गुदे को सुखा लें और इसका चूर्ण बना लें और रोज इस चूर्ण का एक एक चम्मच सुबह शाम सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।

बेलगीरी, अश्वगंधा व मिश्री की बराबर मात्रा ले तथा इसका 5 ग्राम या एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम केशर वाले गर्म दूध के सेवन करने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है।

बिल्व के पत्ते के चूर्ण में शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से धातु रोग में आराम मिलता है।

और पढ़े – इम्युनिटी बूस्टर काढ़ा 

दस्त या जाड़ा होने पर –
Use of Bel on Diarrhea in Hindi

बिल्व (Bilva ke fayde) को वैसे तो दस्त के लिए रामबाण औषधि के रूप में काम में लिया जाता है। लेकिन इसका उपयोग दस्त में उपचार के रूप में कैसे किया जाए यह विधि इस प्रकार है –

अगर किसी को दस्त हो तो बेलगिरी चूर्ण 100 ग्राम को 2 लीटर पानी में उबाल लें। उबलने के बाद जब पानी की मात्रा 500 मी. ली. रह जाए तो इसे छान लें। इसके बाद इसमें 50 से 75 ग्राम मिश्री मिलाकर रख लें। इसका सेवन करते समय भूनी हुई आधा चम्मच सौंठ को 20 मी. ली. काढ़े के साथ लें। इससे सभी तरह के दस्त ठीक हो जाते है। इसका सेवन दिन में 3 बार करना चाहिए।

बिल्व के मुरब्बे का सेवन करने से दस्त में तो लाभ मिलता ही है, साथ ही यह उदर या पेट संबंधी रोगों में भी लाभदायक है।

यदि बच्चों को दस्त हो जाए तो सौंफ के पानी में बेलगिरी  घिस कर देने से दस्त मिट जाते है।

गर्भवती महिलाओं को दस्त होने पर चावल के पानी में मिश्री मिलाकर बेलगिरी चूर्ण पीस कर देने से आराम मिलता है।

आम या केरी की गुठली का चूर्ण एवं बेलगिरी का चूर्ण को ठंडे पानी या चावल के मांड ( चावल उबलने के बाद बचा हुआ गाढ़ा पानी) के साथ देने से दस्त बहुत ही जल्दी ठीक हो जाता है। दस्त में यह उपचार बहुत ही जबरदस्त है।

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