नीम का परिचय
Introduction Of Meliaceae (Neem) in Hindi
नीम (Benefits of Neem in Hindi) एक आयुर्वेदिक औषधि है, जो हमारे जीवन में बहुत ही लाभदायक है। नीम स्वाद में जितना कड़वा होता है उससे ज्यादा यह गुणकारी होता है। आयुर्वेद में नीम के गुणों का बहुत व्याख्यान है। नीम के प्रतिदिन सेवन से गंभीर बीमारियां दूर रहती हैं। नीम एक ऐसी चमत्कारिक औषधि है जो मनुष्य की खूबसूरती में चार चांद लगाने में कारगर सिद्ध होती है। नीम का औषधि के रूप में प्रयोग करने के लिए बहुत सी विधियां हैं।
हर मर्ज की दवा है नीम
भारतवर्ष में नीम का प्रयोग कई सदियों से किया जा रहा है। नीम (Neem ke fayde) के पेड़ का समस्त भाग जैसे जड़े, पत्तियां, तना, फल, फूल आदि औषधि के रूप में प्रयोग में लाए जाते हैं। भारत में नीम का पेड़ सभी जगह पर पाया जाता है। नीम का पेड़ आसानी से घरों में भी पाया जाता है। शास्त्रों में कहा गया है कि नीम का पेड़ लगाने से मृत्यु के बाद स्वर्ग मिलता है। इसलिए नीम का पेड़ लगाना चाहिए और इसका प्रयोग औषधि के रूप में किया जाना चाहिए।
नीम क्या है ?
What is Neem Tree in Hindi
नीम का पेड़ घनी पत्तियों वाला होता है जो लगभग 50 से 70 फिट ऊंचा हो जाता है। नीम स्वाद में कड़वा होता है। नीम के पेड़ की छाया स्वास्थ्य के लिए अच्छी रहती है और यह ठंडक प्रदान करती है। नीम के पेड़ के नीचे सोने से हवा में होने वाले कीटाणु का विनाश हो जाता है। वैज्ञानिक मतानुसार नीम का पेड़ सर्वाधिक ऑक्सीजन देने वाला और सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करने वाला वृक्ष है। नीम के पेड़ की पत्तियां लगभग 2 से 3 इंच लंबी होती है। नीम में लगने वाला फूल सफेद रंग का होता है और फल हरे रंग का होता है जो स्वाद में कड़वा होता है। नीम के पेड़ में लगने वाले फल को निमोड़ी बोला जाता है, इसमें सफेद रंग का दूध निकलता है। निमोड़ी फल पकने के बाद पीले रंग का होता है जो स्वाद में थोड़ा मीठा व थोड़ा कड़वा होता है। नीम की छाल कठोर लाल या भूरे रंग की होती है।
इसको निंब व अरिष्टा के नाम से जाना जाता है। नीम को पृथ्वी का कल्प वृक्ष कहा जाता है।
नीम गुणों का भंडार होने के कारण नीम के उत्पाद बाजार में उपलब्ध है। नीम के उत्पादों में तेल, साबुन, क्रीम आदि मुख्य हैं।

नीम के पत्ते खाने के फायदे
Indian Lilac Benefits in Hindi
नीम (Benefits of Neem in Hindi) में एंटी बैक्टीरियल गुण होने के कारण यह शरीर में आने वाले बैकटीरिया को खत्म कर देता है। नीम का प्रयोग औषधि के रूप में दांतो एवं मसूड़ों के दर्द, कील मुंहासे, फोड़े फुंसी, खून साफ करने में, मधुमेह रोग में, हीमोग्लोबिन बढ़ाने में, पेट के कीड़े मारने, कुष्ठ रोग, बुखार, गर्भनिरोधक औषधि आदि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
इसके अलावा नीम का प्रयोग फलों को पकाने, अनाज के कीड़ों को मारने व अनाज में कीड़े लगने से रोकने के लिए और मच्छरों को मारने में किया जाता है।
नीम के औषधीय गुण
Medicinal benefits of Neem Tree in hindi
1. बुखार में नीम के फायदे –
Benefits of neem in fever in hindi
बुखार एक ऐसी बीमारी है जो कभी भी किसी को भी आ सकता है, और बुखार ठीक करने के लिए नीम बहुत ही कारगर औषधि है। बुखार में कड़वी औषधि सर्वोत्तम होती है। कहा जाता है कि दवाई जितनी कड़वी होती है, वह उतनी ही लाभकारी सिद्ध होती है।
कैसे बुखार में नीम का प्रयोग करें
- नीम के छोटे छोटे नरम पत्तों को फिटकरी चूर्ण के साथ पीस लें। इस मिश्रण की छोटी छोटी गोलियां बना लें और मिश्री के पानी के साथ दिन में तीन – चार बार इन गोलियों का सेवन करें। इस विधि से कैसा भी पुराना बुखार ठीक हो जाता है।
- इसकी छाल, गिलोय और मोटी दाख या मुनक्का को कूटकर एक गिलास पानी में उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े का सेवन दिन में तीन बार करने से बुखार ठीक हो जाता है।
- नीम (Neem ke fayde) की जड़ को कूटकर आधा लीटर पानी में 15-20 उबालकर काढ़ा बना लें। इस काढ़े में से आधा कप काढ़ा पीने से बुखार ठीक हो जाता है। जब कोई औषधि काम नहीं आती है तो यह औषधि बुखार में लाभकारी होती है।
- सौंठ या अदरक, नीम की छाल, सुखा धनिया, गिलोय, पद्मकाष्ठ व लाल चंदन का काढ़ा बना लें। इस काढ़े का सेवन करने से बुखार पूरी तरह ठीक हो जाता है। इस काढ़े का सेवन दिन में दो से तीन बार करने से बुखार ठीक हो जाता है।
- नीम, तुलसी, गिलोय के पत्ते तथा काली मिर्च को पीसकर इनकी गोलियां बना लें। इन गोलियों का सेवन करने से बुखार पूरी तरह ठीक हो जाता है।
- दालचीनी या लौंग व नीम की छाल को अच्छी तरह बारीक पीस लें और इस चूर्ण का सेवन सुबह शाम करने से मियादी, वायरल बुखार, टायफायड आदि ठीक हो जाते है। रक्त शुद्धिकरण में भी यह विधि लाभकारी है।
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2. जहर उतारने में लाभकारी नीम –
Neem beneficial in poisoning in hindi
गर्मी और बरसात के मौसम में जहरीले जीव बाहर घूमने लगते है। इन जीवों के काटने से जहर फैल जाता है। यदि अधिक जहरीला जीव काट ले तो मृत्यु भी हो सकती है।
इसलिए जहर निकालने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाना चाहिए।
- नीम के फल (Neem ke fayde) या नीमोड़ी (निंबौली) को काटकर दो टुकड़े कर लें। इसके एक भाग में काली मिर्च चूर्ण लगाए और दूसरे भाग में सेंधा नमक लगा लें। इन भागों को पीसकर घी या शहद के साथ सेवन करने से जहर निकल जाता है और जहरीले जीवों के काटने का प्रभाव नहीं पड़ता है। लेकिन ध्यान रहे घी और शहद एक साथ नहीं खाएं। दोनों में से केवल एक ही वस्तु का प्रयोग करें।
- ऐसा कहा जाता है कि जब सूर्य मेष राशि में हो, उस समय पर मसूर की दाल के साथ नीम के पत्तों की सब्जी या भाजी का सेवन करने से जहरीले जीवों के काटने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। 12 माह तक किसी भी प्रकार के विषैले जीव का भय नहीं रहता है।
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3. रक्त शुद्धिकरण में नीम –
Azadirachta indica in blood purification in hindi
कभी कभी खून में कुछ विकार उत्पन्न हो जाते है, जिसके कारण चेहरे या शरीर के अन्य भागों पर फोड़े फुंसी आदि होने लगते है। इन सबसे बचने के लिए खून साफ होना बहुत जरूरी है। खून साफ करने के लिए बाजार से साफी नामक दवा आती है जिसमें नीम का मिश्रण आता है। रक्त शुद्धिकरण के लिए नीम का प्रयोग किया जाता है।
- प्रतिदिन सुबह नीम का काढ़ा या नीम के पत्तों का रस (Neem ke fayde) पीने से खून साफ होता है।
- नीम के पत्तों के रस में वासा या अडूसा के पत्ते का रस मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से रक्त विकार दूर होते हैं। ऐसा दिन में दो बार करना चाहिए।
4. बालों के लिए नीम के फायदे –
Benefits of Azadirachta indica for hair in hindi
आजकल बाल झड़ना सफेद होना आम समस्या है, भागदौड़ भरी जिंदगी में मनुष्य इन सबके लिए समय नहीं दे पाता है, और कुपोषण व अनियमित खानपान से बाल से संबंधी रोग उत्पन्न हो जाते हैं।
- नीम के पत्ते व बेर के पत्तों को पीसकर इसका पेस्ट बना लें और इस पेस्ट का सिर में बालों की जड़ों में लेप करने से बाल काले घने भी मजबूत होते हैं।
- नीम के तेल की बूंदें प्रतिदिन नाक में डालने से सफेद बाल काले होने लगते हैं। इस विधि के दौरान मनुष्य को गाय के दूध का ही सेवन करना चाहिए।
- बालों को झड़ने से रोकने के लिए नीम के पत्तों को पानी में उबाल लें और ठंडा होने पर इस पानी से प्रतिदिन बालों को धोना चाहिए। ऐसा करने से बाल झड़ना बंद हो जाता है और बालों को मजबूती मिलती है।
- नीम के पत्तों को उबालकर उनका काढ़ा बना लें, इस काढ़े से बाल धोने से सिर में होने वाली फुंसियां ठीक हो जाती है और मवाद निकलना बन्द हो जाता है। इसका प्रयोग करने से सिर में होने वाली जूं का भी अंत हो जाता है।
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5. नकसीर या नकलोही में नीम के फायदे –
Benefits of Azadirachta indica in epistaxis in hindi
नाक से खून बहने से रोकने के लिए नीम के पत्ते पर अजवाइन को बराबर मात्रा में पीसकर कान के पास में लेप करने से लाभ मिलता है।
6. कान बहना या मवाद निकलने पर नीम के फायदे –
Benefits of neem on running out of ears or pus in hindi
- 50 मि.ली. तिल के तेल में बराबर मात्रा में नीम के पत्तों का रस मिलाकर आग पर गर्म होने के लिए रख दें और नीम के पत्तों का रस जल जाने पर शेष तेल को ठंडा होने पर छान कर एक बोतल में रख दें। इस तेल की 2-4 बूंदें कान में डालने से कान बहना बन्द हो जाता है।
- यदि कान से मवाद निकलती हो तो नीम के तेल में शहद मिलाकर रूई के टुकड़े को भिगोकर कान में रखना चाहिए। मवाद निकलना बन्द हो जाता है और कान बहना भी बंद हो जाता है।
7. दांत व मसूड़ों के लिए नीम –
Azadirachta indica for teeth and gums in hindi
- दांत साफ करने के लिए नीम की दातुन का उपयोग करना चाहिए। नीम की डाल का छोटा टुकड़ा दातुन होता है, इससे दांत साफ करने से मसूड़े व दांत दोनों मजबूत होते है।
- नीम के पेड़ की जड़ को कूटकर पानी में उबाल लें। इस पानी से कुल्ला करने से दांत व मसूड़े संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं।
- सोना गेरू, नीम के जड़ की छाल व सेंधा नमक के मिश्रण को बारीक पीस कर नीम के रस में डाल दें। इस रस को सुखा कर दंत मंजन करने से दांत व मसूड़ों से संबंधी सभी रोग मिट जाते हैं।
8. पेट संबंधी रोगों में नीम के फायदे –
Benefits of neem in stomach related diseases in hindi
- प्रतिदिन नीम के पत्तों के रस का सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते है।
- पेट के कीड़े मारने के लिए सब्जी में नीम के पत्ते का छौंक लगाकर खाना चाहिए।
- आधा लीटर जल में जौ व नीम की छाल को पीस कर डालकर उबाल लें। इस काढ़े में नमक डालकर सेवन करने से पेट दर्द संबंधी समस्या मिट जाती है।
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9. दस्त में नीम के फायदे –
Benefits of Neem in diarrhea in hindi
नीम का पक हुआ फल या पकी निमोडी खाने से खूनी दस्त मिट जाते है।
10. उल्टी में नीम के फायदे –
Benefits of Neem in Vomiting in hindi
- नीम की डंडी, डोडा व काली मिर्च को बारीक पीसकर एक गिलास पानी में मिलाकर पीने से उल्टी बन्द हो जाती है। स्वाद कड़वा लगने पर मिश्री के पानी से सेवन कर सकते हैं।
- नीम की छाल के चूर्ण में शहद मिलाकर चाटने से उल्टी बन्द हो जाती है।
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11. बवासीर में नीम के लाभ –
Benefits of neem in piles in hindi
- नीम के तेल की 100 मि.ली. मात्रा में 5-5 ग्राम सुहागा व फिटकरी पीसकर मिला लें। इस मिश्रण को गुदे में लगाने से बवासीर ठीक हो जाता है।
- छोटी हरड़, नीम के बीज, बकायत के सूखे बीज, घी में भूनी हुई हींग, शुद्ध रसौत व मुनक्का को पीसकर गोलियां बनाकर पानी या बकरी के दूध के साथ सेवन करने से बवासीर बिल्कुल ठीक हो जाता है।
- नीम के बीजों की 50 ग्राम मात्रा में नीम की 100 ग्राम छाल को पीसकर छोटी छोटी गोलियां बना लें। इन गोलियों का लगातार 10 दिन 4-5 गोली सुबह दोपहर शाम सेवन करने से बवासीर बिल्कुल ठीक हो जाता है। इसके साथ ही नीम के काढ़े से मस्सों को धोना चाहिए या पत्तों को बारीक पीसकर मस्सों पर बांध भी सकते है। ऐसा करने से जल्दी है बवासीर ठीक हो जाता है। यह मस्सों की रामबाण औषधि है।
- नीम के तेल व कपूर के मिश्रण को प्रतिदिन मस्सों पर लगाने से बवासीर में लाभ मिलता है।
13. पीलिया या कमला रोग में नीम के लाभ –
Benefits of Neem in Jaundice or Kamala disease in hindi
- थोड़ी सी मात्रा में शिलाजीत चूर्ण को शहद के चाट लें। इसके थोड़ी देर बाद नीम के पत्ते, गिलोय के पत्ते, द्रोणपुष्पी के पत्ते व हरड़को कूट कर पानी में उबाल लें। उबलते हुए पानी में देशी गुड़ डाल दे और एक चौथाई पानी होने पर काढ़े का सुबह शाम सेवन करें। इसका सेवन करने से पीलिया रोग बिल्कुल ठीक हो जाता है।
- नीम के समस्त भाग अर्थात् नीम के पत्ते, छाल, फल, फूल व जड़ का सुखाकर चूर्ण बना लें और इस चूर्ण का शहद या घी या दूध के साथ सेवन करें। ऐसा करने से पीलिया रोग ठीक हो जाता है।
- प्रतिदिन प्रातः काल भूखे पेट नीम के पत्तों का रस, अडूसा या वासा के पत्तों का रस व शहद बराबर मात्रा में मिलाकर सेवन करने से पीलिया ठीक हो जाता है।
- नीम के पत्तों के रस अथवा कोमल पत्तों को पीसकर शहद के साथ सेवन करने से पीलिया में आराम मिलता है।
14. मधुमेह रोग में नीम के फायदे –
Benefits of Neem in diabetes in hindi
- नीम के पत्तों को पीसकर शुद्ध घी में सेंक कर जला लें और घी को छान कर रोटी के साथ खाने से मधुमेह रोग में आराम मिलता है।
- नीम के पत्ते के रस में शहद मिलाकर खाने से मधुमेह या डायबिटीज रोग में आराम मिलता है।
15. पथरी रोग में नीम के फायदे –
Benefits of Neem in appendicitis in hindi
- नीम के पत्तों को अच्छी तरह से आग में जला दें और राख होने पर एक डिब्बी में बंद कर लें। प्रतिदिन राख का दिन में 3 बार सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाएगी।
- नीम के पत्तों के रस को पानी मिलाकर पीस लें और इस पानी का सेवन 45 से 60 दिन तक करने से पथरी टूटकर निकल जाएगी।
16. जोड़ों के दर्द या गठिया रोग में नीम के फायदे –
Benefits of neem in joint pain or arthritis in hindi
- नीम के अंदर की छाल को पानी में बारीक पीसकर घुटनों पर गाढ़ा लेप करने से 4-5 दिन में जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है।
- नीम के छाल के अर्क की 10-15 बूंद का 4-5 दिन सेवन करें और इसके 2-3 घंटे बाद गर्म रोटी घी के साथ खाने से से जोड़ों का दर्द व लकवा ठीक हो जाता है।
- दर्द वाले स्थान पर नीम के तेल प्रतिदिन मालिश करने से दर्द में आराम मिलता है।
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17. चेचक या छोटी माता निकालने पर नीम के फायदे –
Benefits of Neem in Chickenpox in hindi
- प्रतिदिन नीम की नरम छोटी पत्तियों का काली मिर्च के साथ सेवन करने से चेचक रोग नहीं होता है। इसे खाने के बाद थूकना नहीं चाहिए।
- हल्दी के साथ नीम का बीज व बहेड़ा के बीज बराबर मात्रा में पीसकर पानी के साथ प्रतिदिन सेवन करने से चेचक नहीं होता है।
- चेचक रोग के दौरान यदि रोगी के बाल झड़ जाते तो उसके बालो में नीम के तेल की मालिश करनी चाहिए। बाल पुनः आ जाते है।
- नीम के काढ़े में काली मिर्च चूर्ण मिलाकर सेवन करने से चेचक रोग ठीक हो जाता है।
18. कोढ़ की बीमारी या कुष्ठ रोग में नीम के फायदे –
Benefits of neem in leprosy in hindi
कोढ़ की बीमारी एक खतरनाक बीमारी है। इस रोग में लाभ प्राप्त करने के लिए नीम का सेवन करना चाहिए। इस रोग में रोगी को बर्षभर नीम के पेड़ की छाया में नीम के पत्तों पर शयन करना चाहिए। कुष्ठ रोगी को नीम की दातुन से दांत साफ करने चाहिए। नीम की पत्तियों के काढ़े से स्नान करना चाहिए। नीम के तेल की मालिश करनी चाहिए तथा नीम के रस का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। खाना खाने के बाद नीम के रस का पानी पीना चाहिए। इसके अलावा औषधि के रूप में कुष्ठ रोगी को ये विधि भी अपनानी चाहिए।
- एक मिट्टी के बड़े घड़े में 25 लीटर पानी में 500 ग्राम हल्दीऔर 500 ग्राम नीम के पत्तों के साथ एक किलो ग्राम देशी गुड़ डाल दें। घड़े का दक्कन बन्द करके उसे घोड़े की लीद से पैक कर दें। 10-15 दिन बाद इस काढ़े का सेवन सुबह शाम आधा कप मात्रा में करने से कोढ़ की बीमारी ठीक हो जाती है। इस औषधि के सेवन के बाद घी और चने के आटे ( बेसन ) की रोटी खानी चाहिए।
- कोढ़ के मरीज को नीम के बीज की गिरी प्रतिदिन एक एक बढ़ाते हुए खिलाए। 100 की मात्रा में पहुंचने के बाद घटाते हुए पुनः एक तक लाए। इस दौरान चने के आटे की रोटी व घी का सेवन करें। यह कुष्ठ रोगी के बहुत ही फायदेमंद औषधि है।
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19. त्वचा संबंधी रोगों में नीम के फायदे –
Benefits of Neem in skin or Dermatological diseases in hindi
- शरीर में होने वाले फोड़ा फुंसी को मिटाने के लिए नीम की छाल को पानी में घिस कर फोड़े पर लगाने से फोड़ा व फुंसी जल्दी ठीक हो जाता है।
- गर्मियों के मौसम में शरीर पर निकालने वाली पानी वाली घमौरियों को मिटाने के लिए नीम के पत्ते को पानी में पीसकर लगाना चाहिए। इस पेस्ट का 2-3 लेप करने से घमौरियों जल्दी ठीक हो जाती है।
- नीम के पत्तों को दही व शहद के साथ पीसकर लगाने से दाद, खुजली में आराम मिलता है। यह चोट के घाव को भी जल्दी ठीक कर देता है।
- नीम की जड़ की छाल व बीज की गिरी को पीसकर नीम के पत्तों के रस में मिलाकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट का लेप करने से दाद, खाज, खुजली, फोड़ा – फुंसी व त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाते हैं।
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20. गर्भ निरोधक औषधि के रूप में नीम के फायदे –
Benefits of Neem as a contraceptive medicine in hindi
नीम काम शक्ति को कम करता है। यह गर्भ निरोधक औषधि के रूप में काम करती है। नीम के तेल में रूई भिगोकर योनि पर लगाने से गर्भ नहीं ठहरता है। यह गर्भ निरोधक का बहुत ही कारगर उपचार है।
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