रोज मांस खाने वाले से भी ज्यादा ताकत देता है लिसोड़ा
Lasoda ke fayde in hindi

लिसोड़ा का परिचय
Introduction of Lisoda in hindi
भारत में यह मुख्य रूप से अर्ध पर्णपाती वनों में पाया जाता है जो हमेशा हरा रहता है। यह लगभग 1000 मीटर की ऊँचाई तक सदाहरित वृक्ष के रूप में पाया जाता हैं। इसकी दो प्रजातियां श्लेष्मातक (Lasoda ke fayde in hindia) तथा लघु श्लेष्मातक पाई जाती हैं जो चिकित्सा में प्रयोग की जाती है।
लिसोड़ा का वृक्ष लगभग 14 मी ऊंचा तथा हमेशा हरा रहता है। इसकी छोटी शाखाएं लाल रंगयुक्त भूरे वर्ण की होती हैं। इसके पत्ते छोटे तथा चिकने होते हैं, जो पूरे बढ़ने पर कुछ खुरदरे हो जाते हैं।
इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। लिसोड़ा के फल (Lisoda ke fal) गुच्छों में लगते हैं जो कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर गुलाबी पीले हो जाते हैं। इसके बीज पारदर्शी, चिपचिपे, मधुर व खाद्य गुदे से घिरे होते हैं।
छोटे लसोड़े का वृक्ष (Lisoda Tree) छोटा होता है। इसके फूल भी सफेद रंग के तथा छोटे होते हैं।
वन्य श्लेष्मातक या जंगली लसोड़ा-
Jangali Lasoda ke fayde in hindi
यह लगभग 3-8 मी तक ऊँचा मध्यमाकार पेड़ होता है। इसकी शाखाएं सफेद रोमों से ढकी होती है। इसके फूल सफेद तथा सुगन्धित होते है। फल अण्डाकार होते हैं। इसके पञ्चाङ्ग का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है। इसकी लकड़ी अत्यधिक ठोस होती है इस कारण इसमें दीमक नहीं लगती है।
कहा जाता है कि इसकी लकड़ी को घर में रखने से शान्ति रहती है तथा घर में किसी प्रकार के जहरीले जानवर नहीं आते।
इसका प्रयोग स्त्री रोग, उदर रोग, रक्त विकार, श्वास, त्वचा रोग तथा अन्य विकारों में चिकित्सा के रूप में आयुर्वेद में किया जाता है।
इसके फल शीतल, कषाय, कृमिघ्न, विषशामक, बलकारक, कामोत्तेजक, पोषक, मृदुकारी, मूत्रल, स्नेहक एवं कफनिसारक, श्वेतप्रदर, शुक्रमेह, मधुमेह, तृष्णा, अरुचि एवं मूत्रदाहशामक होते हैं।
अन्य भाषाओं में लसोड़ा के नाम –
Names of lasoda in other languages
Sebastian Tree (सेबेस्टीएन ट्री), बहुवार, उदाल, शेलु , श्लेष्मातक, भूतवृक्षक, शैलु, गन्धपुष्प, लिसोड़ा, लिसारा, छोरा लसोरा, लसोरा, Lasora, छल्ले, बरघन्द, गुंदो, लशोरा, इण्डियन चेरी (Indian cherry), क्लेमी चेरी (Clammy cherry), सीबेस्टीएन प्लम (Sebestian plum) आदि नामों से जाना जाता है।
लसोड़ा के औषधीय प्रयोग
(Aayurveda me Lasoda ke fayde in hindi)
काले बालों के लिए लसोड़ा के फायदे –
Benefits of Lasoda for Black Hair in Hindi
लिसोड़ा के फल के गुदे को कांजी से पीसकर छेद वाले लोहे के बर्तन में भर कर धूप में गर्म कर अधपातन-विधि से प्राप्त तेल से मालिश करने से बाल जल्दी काले होते हैं तथा आँख, कान आदि से संबंधी रोगों का भी नाश होता है।
बालों के पकने पर लिसोड़ा के प्रयोग –
Use of Lisoda on hair ripening in Hindi
समान मात्रा में लिसोड़ा, बहेड़ा, बन्दाक, गम्भारी तथा हरड़ के चूर्ण से सिद्ध तेल को सूंघने व बालों में लगाने से बालों का पकना रोग का नष्ट होता है। इस अवधि में भोजन में केवल गाय के दूध का सेवन करना चाहिए।
सिर दर्द में लिसोड़ा के फायदे –
Benefits of Lasoda in Headache in Hindi
लिसोड़े के पत्तों को पीसकर लेप करने से सिर दर्द में आराम मिलता है।
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अतिसार रोग में श्लेष्मातक के फायदे-
Benefits of Lisoda in diarrhea in Hindi
लसोड़े की 1-2 ग्राम कोमल कोपलों को पीसकर खिलाने से अतिसार में लाभ होता है।
पेट संबधी रोगों में लसोड़े के फायदे-
Benefits of lasode in stomach related diseases in Hindi
लसोड़े के पत्तों को पीसकर पेट पर बांधने से पेट के रोगों में लाभ मिलता है।
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अपची या गंडमाला में लिसोड़ा के फायदे-
Benefits of lisoda in indigestion or goiter in Hindi
लिसोड़ा के पत्तों को हल्का गुनगुना करके गले पर बांधने से 2 सप्ताह में कंठमाला में आराम मिल जाता है।
जुकाम होने पर लसोड़ा के प्रयोग-
Use of Lasoda in Cold in Hindi
लिसोडे की छाल का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से जुकाम, अजीर्ण, ज्वर में लाभ होता है।
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खांसी में लसोड़ा के फायदे-
Benefits of Lasoda in Cough in Hindi
लिसोड़ा तथा सेमल के पत्तों को लोहे के तवे पर गर्म करते हुए जलाकर पत्तों को पीस कर सेंधा नमक तथा शहद मिलाकर सेवन करने से खांसी ठीक होती है।
10-15 मिली लिसोड़ा के पत्ते का क्वाथ पीने से खांसी में लाभ होता है।
मस्तक या शिरो रोग में लसोड़ा –
Lasoda in Cephalic Disease in Hindi
लोहे के बर्तन में लसोडे के बीजों के अंतसार को कांजी के साथ पीसकर, धूप में गर्म कर प्राप्त तेल को नाक एवं शरीर पर मालिश के लिए प्रयोग करने से मुंह तथा मस्तक के अनेक रोगों में फायदा होता है।
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दाद में फायदेमंद लिसोड़ा-
Beneficial Lisoda in Herpes in Hindi
लसोड़े तथा गुगुल (सलई) के काढ़े से दाद को रोज धोते रहने से धीरे-धीरे लाभ होता है।
लिसोड़ के बीज व मज्जा चूर्ण को तेल में मिलाकर लेप करने से दाद ठीक होता है।
खुजली होने पर लसोड़ा के फायदे-
Benefits of Lasoda on Itching in Hindi
श्लेष्मातक की छाल को पीसकर खुजली वाले स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
रक्तपित्त में श्लेष्मातक के फायदे –
Benefits of Lasoda in the Bloodstream in Hindi
लसोड़े की सब्जी बनाकर घृत में भूनकर व आँवला रस मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ मिलता है।
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लघु श्लेष्मातक के प्रयोग
Shleshmatak ke fayde in Hindi
शारीरिक दुर्बलता के लिए छोटे लिसोड़े-
Small Gluten for Physical Weakness in Hindi
लघु श्लेष्मातक के पत्तों तथा फल का प्रयोग सामान्य रूप से कमजोरी में किया जाता है।
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शिरशूल में फायदे-
Benefits of Lisora in Headaches in Hindi
लघु श्लेष्मातक के पत्तों को पीसकर मस्तक पर लेप करने से शिरशूल का नाश होता है।
दांत दर्द में लघु श्लेष्मातक के फायदे-
Benefits of Small Mucus in Toothache in Hindi
लघु श्लेष्मातक का काढ़ा बनाकर गरारा करने से दांत दर्द में लाभ मिलता है।
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खांसी में फायदे-
Lisora Benefits in Cough in Hindi
लघु श्लेष्मातक फल के काढ़े का 10-15 मिली की मात्रा में सेवन करने से सूखी खांसी में लाभ होता है।
खुजली में फायदे-
Lasoda Benefits in Itching in Hindi
लघु श्लेष्मातक के तने की छाल को पीसकर लगाने से खुजली मिटती है।
मुंह के छालों के लिए छोटे लिसोड़े के फायदे –
Benefits of Small Gluten for Mouth Ulcers in Hindi
लघु श्लेष्मातक की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुंह के छाले ठीक होते है।
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