शनि और बुध वक्रीय, होगा इन जातकों को लाभ
वक्री ग्रह शनि –
(शनि और बुध वक्रीय) शनि देव (Shani Dev) का नाम सुनते ही लोगों के मन में भय की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, किंतु शनि देव किसी को भी बेवजह नहीं सताते है। शनि देव न्याय के देवता, कर्म के देवता हैं। कर्म का फल देने वाले सूर्य पुत्र शनि देव है। जीवन में शुभ कार्य करते हैं तो शनि की साढ़े साती (Shani ki Sadhe Saari) की दशा, महादशा, अंतर्दशा में शनिदेव लाभ ही लाभ करते है।
ज्योतिषाचार्य पण्डित नीलेश शास्त्री (Astrologer Pt. Nilesh Shastri) ने बताया कि शनि ग्रह (Shani Grah) के सम्बन्ध मे अनेक भ्रान्तियां हैं और इस लिये उसे मारक, अशुभ (Ashubh) और दुख का कारक (Dukh ka Karak) माना जाता है। किंतु शनि उतना अशुभ और मारक नही है, जितना उसे माना जाता है।
मोक्ष कारक ग्रह शनि को माना जाता है, सत्य तो यह है कि शनि देव प्रकृति में संतुलन (Balance in Nature) बनाने का कार्य करते हैं और प्रत्येक प्राणी के साथ उचित न्याय करता है।
शनि उन लोगों को दंडित या प्रताड़ित करते हैं जो लोग बिना वजह दूसरो को परेशान या कष्ट देते हैं।
पुष्य नक्षत्र (Pushya Nakshatra),अनुराधा नक्षत्र (Anuradha Nakshatra), और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र (Uttrabhadrapada Nakshatra) और मकर राशि (Makar Rashi), कुंभ राशि (Kumbh Rashi) के स्वामी शनि देव हैं।
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शनि की उल्टी चाल 141 दिन करेंगे सब को माला माल
भविष्यवक्ता पंडित नीलेश शास्त्री (Astrologer Nilesh Shastri) ने बताया कि सूर्य पुत्र (Surya Putra) शनि देव वैशाख मास (Vaishakh Maas) शुक्ल पक्ष (Shukla Paksha) एकादशी अर्थात् 23 मई को 14 बजकर 50 मिनट पर शुभ चौघड़िए में वक्रीय होंगे और शनि की उल्टी चाल आरंभ हो जायेगी। शनि देव राक्षस नाम संवत्सर के शारदीय नवरात्र की छठ तिथि सोमवार अर्थात् 11अक्टूबर को सूर्य उदय के बाद प्रातः 7:50 पर मार्गी हो जायेंगे और 141 दिन तक (शनि और बुध वक्रीय) वक्रीय रहेंगे।
आइए पंडित निलेश शास्त्री से जानते हे किन किन राशियों पर शनि का असर देखने को मिलेगा
शनि की तीसरी, सातवी और दसवीं दृष्टि बहुत खराब बताई जाती है और शनि ग्रह की यह तीसरी दृष्टि मीन राशि और सातवी कर्क राशि पर तथा दशम दृष्टि तुला राशि पर आ रही है।
वर्तमान में शनि की साढ़ेसाती की बात करें तो शनि की साढे़साती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है।
मिथुन राशि और तुला राशि पर शनि की ढैय्या चल रही है, ऐसे में इन राशियों को सावधान रहना चाहिए।
अन्य 5 राशियों पर लाभ रहेगा। यदि मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कन्या राशि वाले जातकों की जन्म कुंडली में शनि की दशा, महादशा, अंतर्दशा, दहिया या साढ़ेसाती चल रही हो तो उनको भी सावधान रहना होगा।
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शनि के दुष्प्रभाव से बचने के उपाय
कुंडली विशेषज्ञ पंडित नीलेश शास्त्री (Kundali Specialist pt. Nilesh Shastri) ने बताया कि शनि देव दुष्प्रभाव तब देते हैं जब आप कार्य अच्छे नही करते हैं, आप सबसे पूर्व अपने कर्म अच्छे करें तो शनि का दुष्प्रभाव आप पर कभी भी जीवन में नहीं आयेगा। सबकी सहायता करें, दान करें तो शनि आपके जीवन पर कभी भी दृष्टि नहीं डालता है। जातक को लाभ ही लाभ होगा।
नित्य हनुमान जी के मंदिर में जाना चाहिए।
हनुमान चालीसा के पाठ करें।
सुंदरकांड का पाठ करें।
पीपल और शमी के पेड़ के नीचे संध्या के समय मीठे तेल का दीपक जलाएं।
हनुमान जी का तेलाभिषेक करें।
शनिवार को हनुमान जी पर सिंदूर का चोला चढ़ाएं।
जो शनि का दान लेते हैं, उनको शनिवार के दिन अपने वजन के अनुसार उड़द, तेल, तिल, वस्त्र, लोहा आदि दान करें।
शनि मंत्र का जप करवाएं।
पीपल के पेड़ के नीचे नित्य शनि स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
गरीबों बुजुर्ग की मदद करें।
परिवार में सब से सलाह लेकर कार्य करें।
शनि और बुध वक्रीय
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वक्रीय होंगे बुध ग्रह –
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री ने बताया कि बुद्ध को एक शुभ ग्रह माना गया है। यह शुभ फलदायक होता है। कभी कभी किसी अशुभकारी ग्रह की युति से यह हानिकर भी हो जाता है। जब वक्रीय या अस्त होता है तो अपना अशुभ प्रभाव दिखाता है। बुध ग्रह मिथुन एवं कन्या (Virgo) राशियों का स्वामी है तथा कन्या राशि में उच्च भाव में स्थित रहता है तथा मीन राशि में निचले भाव में रहता है।
बुध ग्रह बुद्धि, बुद्धिवर्ग, संचार, विश्लेषण, चेतना (विशेष रूप से त्वचा), विज्ञान, गणित, व्यापार, शिक्षा मीडिया और अनुसंधान का प्रतिनिधित्व करता है। सभी प्रकार के लिखित शब्द और सभी प्रकार की यात्राएं बुध के अधीन आती हैं। बुध तीन नक्षत्रों का स्वामी है अश्लेषा, ज्येष्ठ और रेवती (नक्षत्र)। हरे रंग, धातु, पीतल और रत्नों में पन्ना बुद्ध की प्रिय वस्तुएं हैं।
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बुध ग्रह का अपनी मिथुन राशि में प्रवेश वक्रीय अस्त मार्गी होगा
भविष्यवक्ता पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि बुध ग्रह 26 मई बुधवार को अपनी स्वयं की राशि मिथुन में राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं और बुधवार को प्रातः 9 बजे वृषभ राशि से मिथुन राशि में बुध ग्रह प्रवेश करेंगे। उस समय बुध ग्रह मृगशिरा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करेगें और मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह माने जाते है। मिथुन राशि में पूर्व से ही मंगल ग्रह भी विराजमान है। मंगल ग्रह बुध को अपना शत्रु ग्रह मानते है। वृषभ राशि में 29 मई को बुध ग्रह वक्रीय होंगे तथा 2 जून को अस्त हो जायेंगे। अस्त वक्रीय होने से बुध ग्रह लाभ अधिक नहीं देता है।
यह ग्रह 7 जुलाई तक अस्त वक्रीय हो कर नक्षत्र परिवर्तन करते हुए 7 जुलाई को पुनः मिथुन राशि में आएंगे। जब तक यह ग्रह वृषभ मिथुन राशि में अस्त वक्रीय मार्गी होते रहेंगे। बार बार परिवर्तन करने के कारण बुध की सप्तम दृष्टि वृश्चिक राशि और धनु राशि पर रहेगी। यह वृषभ, कन्या, मिथुन और तुला राशि के लिए लाभकारी समय रहेगा और कर्क, सिंह राशि वालों को सावधानी रखनी होगी। अन्य सभी राशियों को मिला जुला असर देखने को मिलेगा।
बुध ग्रह के अशुभ प्रभाव से बचने के उपाय
अशुभ प्रभाव से बचने के लिए आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य पण्डित निलेश शास्त्री से बुध ग्रह के उपाय –
बुध ग्रह को प्रसन्न करने के लिय नित्य गणेश अथर्वशीश का पाठ करना चाहिए।
स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए।
ज्योतिषी से सलाह लेकर पन्ना भी धारण कर सकते हैं।
मूंग की दाल, मेंहदी और 16 श्रंगार की सामग्री किन्नरों को दान कर सकते हैं।
पन्ना, पीतल और हरे वस्त्र, सब्जियां आदि दान करें।
गणेश जी के धुर्वा चढ़ाए।
गणेश जी की विशेष आराधना करें।
बुधवार पुष्प नक्षत्र के दिन गणेश जी का पंचामृत से अभिषेक करवाए।
मंदिर में साफ सफाई करें।
इन सभी उपायों को करने से बुध का अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाता है और उन्नति होने लगती है।
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Pandit Nilesh Shastri – 9265-66-7532, 8740-965-737