Narsingh Jayanti 2021

नृसिंह जयंती 2021

विष्णु जी के चतुर्थ अवतार भगवान नृसिंह (Narsingh Jayanti) का जन्मोत्सव वैशाख मास की चतुर्दशी पर मनाया जाता है, भविष्यवक्ता पण्डित निलेश शास्त्री ने बताया कि इस बार 25 मई मंगलवार को भगवान नृसिंह का प्राकट्य महोत्सव मनाया जायेगा।

भगवान लक्ष्मी नृसिंह सभी कष्टों का निवारण करते है।

श्री मद्भागवत कथा के अनुसार ज्योतिषाचार्य पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि हिरण्यकश्यप को ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त था कि वह न तो किसी मनुष्य, न पशु द्वारा मर सकता था, न दिन में मारा जा सके, न रात में, न जमींन पर मारा जा सके, न आसमान में। इस वरदान के नशे में आकर उसके अंदर अहंकार आ गया। जिसके बाद उसने देवराज इंद्र का राज्य छीन लिया और तीनों लोक में रहने वाले लोगों को परेशान करना आरंभ कर दिया। उसने घोषणा कर दी कि मैं ही इस पूरे संसार का भगवान हूं और सभी मेरी पूजा करो।

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उधर, हिरण्कश्यप के स्वभाव से विपरीत उसका पुत्र भक्त प्रहलाद भगवान विष्णु का बहुत बड़ा वैष्णव भक्त था। पिता के लाख मना करने और प्रताड़ित करने के बाद भी वह भगवान विष्णु की आराधना करता रहा। जब प्रहलाद ने अपने पिता हिरण्यकश्यप की बात नहीं मानी तो उसने अपने ही बेटे को पहाड़ से धकेल कर मारने की कोशिश की, लेकिन भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की जान बचा ली। इसके बाद हिरण्कश्यप ने प्रहलाद को उसकी बहन होलिका के साथ जिंदा जलाने की नाकाम कोशिश की।

अंत में क्रोधित हिरण्कश्यप ने अपने पुत्र प्रहलाद को दीवार में बांध कर आग लगा दी और बोला बता तेरा भगवान कहां है, प्रहलाद ने बताया कि भगवान यहीं हैं, जहां आपने मुझे बांध रखा है। जैसे ही हिरण्कश्यप अपने गदे से प्रह्लाद को मारना चाहा, वैसे ही भगवान विष्णु नृसिंह का अवतार लेकर खंभे से बाहर निकल आए और हिरण्कश्यप का वध कर दिया। जिस दिन भगवान नृसिंह ने हिरण्यकश्यप का वध करके भक्त प्रहलाद के जीवन की रक्षा की, उस दिन को नृसिंह जयंती के रूप में मनाया जाता है।

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भगवान नृसिंह के निम्न मंत्रों के जप से परेशानी समाप्त होती है, पंडित निलेश शास्त्री ने बताया कि मंत्र जप से पूर्व गुरु द्वारा मंत्र लेना आवश्यक है इन मंत्रों को होली, दीपावली और ग्रहण के समय सिद्ध भी कर सकते हे।

Narsingh Jayanti

एकाक्षर नृसिंह मंत्र : ”क्ष्रौं”
त्र्यक्षरी नृसिंह मंत्र : ”ॐ क्ष्रौं ॐ”

षडक्षर नृसिंह मंत्र : ”आं ह्रीं क्ष्रौं क्रौं हुं फट्”

नृसिंह गायत्री — : ”ॐ उग्र नृसिंहाय विद्महे, वज्र-नखाय धीमहि। तन्नो नृसिंह: प्रचोदयात्।

विपत्ति नाश के लिय मंत्र

उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ॥

संकटमोचन नृसिंह मंत्र

ध्याये न्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।

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