हरियाली तीज एक परिचय
An Introduction to Hariyali Teej
सावन का महीना वर्षा होने के करना हरा भरा रहता है, चारों तरफ हरियाली पसरी रहती है। जिधर भी नजर जाती है उधर जल स्त्रोत भरे होते हैं और पेड़ों हरियाली लिपटी रहती है। ऐसा लगता है मानो किसी ने प्रकृति को हरी चादर उढ़ा दी हो। इस महीने आने वाले त्यौहारों हरियाली तीज (Hariyali Teej), हरियाली अमावस्या आदि नामों से जाना जाता है। यहां हम हरियाली तीज की बात करेंगे। सावन का महिना शुरू होते ही त्यौहारों की कतार से लग जाती है। एक के बाद एक त्यौहार आते जाते है। सावन के महीने में आने वाले अधिकतर त्यौहार शिव पार्वती की पूजा के संबंध में होते है।
श्रावण मास में आने वाले अनेकों त्यौहारों में से एक है, हरियाली तीज।
यह पर्व विवाहिता स्त्रियों के लिए बेहद खास होता है, क्योंकि यह पर्व सावन महीने में आता है और सावन महीना भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ा हुआ है।
विवाहिताओं के लिए तीज के त्यौहार का विशेष महत्व होता है।
हरियाली तीज कब मनाई जाएगी?
When will Hariyali Teej be celebrated?
सावन मास की शुक्ल पक्ष को आने वाली तृतीया को हरियाली तीज मनाई जाती है।
इस वर्ष हरियाली तीज 11 अगस्त 2021 को मनाई जाएगी।
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हरियाली तीज महत्त्व
Hariyali Teej Significance
ज्योतिषाचार्य पंडित नीलमणि शास्त्री ने बताया कि
हिन्दू पंचांग के अनुसार एक हिंदी वर्ष में पांच प्रकार की प्रमुख तीज त्यौहार आते है, जिन्हें भारतीय बड़े ही धूम धाम के साथ मनाते हैं।
चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की तीज – गणगौर
वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की तीज – अक्षय तृतीया
श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तीज – हरियाली तीज या सिंजारा तीज
भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तीज – कजरी तीज और
भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तीज – हरतालिका या भादुड़ी तीज।
इन सभी तीज के त्यौहारों को खासकर उत्तरी भारत में बड़े ही धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। प्रत्येक तीज का अपना अलग ही महत्व होता है।
महिलाओं के जीवन में तीज का बहुत अधिक महत्व होता है।
हरियाली तीज को श्रावणी तीज व सिंजारा तीज भी कहते है।
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सभी राज्यों के लोग इसे अलग अलग नाम से जानते हैं, किंतु इस व्रत का उद्देश्य सबके लिए अपने पति की दीर्घायु का होता है। सभी महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। धरती पर प्रकृति के नए स्वरूप में तीज के इस पर्व को मनाते है। हरियाली तीज के व्रत पर लोग भगवान से अच्छी वर्षा की कामना करते है। विवाहिता स्त्री अपने परिवार व पति की दीर्घायु, सुख समृद्धि की प्रार्थना करती है और कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की कामना करतीं हैं।
हरियाली तीज क्यों मनाई जाती है?
Why is Hariyali Teej celebrated?
हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि हरियाली तीज के व्रत के द्वारा ही माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न किया था। इस दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में पूर्ण रूप से स्वीकार किया था। माता पार्वती के लिए भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत ही कठिन कार्य था और माता पार्वती ने अनेकों व्रत आदि करके भगवान शिव को विवाह के प्रसन्न किया। माता पार्वती के कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उनके साथ विवाह रचाया था।
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हरियाली तीज कैसे मनाई जाती है?
How is Hariyali Teej celebrated?
नव विवाहिता हरियाली तीज के एक दिन पहले सिंजरा मानती हैं, इसे सिंधारा भी कहा जाता है। विवाह के बाद पहली हरियाली तीज औरतें अपने मायके में मनाती है। नयी शादीशुदा औरतों के लिए पहला सिंजारा बहुत खास होता है, यह उसके मायके आता है। राजस्थान में सिंजारा इसका विशेष महत्व होता है। इस दिन सास अपनी नयी बहु को पूरा श्रृंगार का सामान देती है जिसमें मेहँदी, सिन्दूर, चूड़ियां, बिंदी, लहरिया, आभूषण आदि शामिल होते हैं।
श्रृंगार का सामान एक सुहागन के लिए सुहाग का प्रतीक होता है।
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राजस्थान में हरियाली तीज
Hariyali Teej in Rajasthan
हरियाली तीज देखा जाए तो मुख्य रूप से राजस्थानी त्यौहार है। महिलाएं 16 सिंगार करके पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। एक दिन पहले रात को मेहंदी लगाती हैं। तीज वाले दिन तीज माता की पूजा करने के बाद झूला झूलती है और सावन के गीत गाती हैं। स्वादिष्ट पकवानों में घेवर बनाए जाते है और मिलकर सभी खाते हैं। अनेकों प्रकार के घेवर जैसे पनीर वाले, सादा और मावा मिश्री आदि के घेवर बनाए जाते हैं। राजस्थान के अलावा गुजरात में भी स्त्रियां इस त्यौहार में पारंपरिक कपड़े पहनकर कर गरबा करती है और सावन के गीत गाकर झूला झूलती है।
हरियाली तीज पर होने वाले रीति रिवाज
Rituals on Hariyali Teej
मेहंदी रस्म –
Heena ceremony –
हिंदू धर्म में कोई त्यौहार महिलाओं के लिए बिना मेहंदी के अधूरा होता है। किसी भी पर्व को मानने के एक दिन पहले महिलाएं हाथों में मेहंदी लगाती हैं। ऐसा माना जाता है कि स्त्री के हाथ की मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है उतना ही उसके पति का स्त्री के प्रति प्रेम होता है।
सावन के झूले –
Sawan’s swings
महिलाएं किसी भी पेड़ की टहनी पर झूला लगाकर झूला झूलती है। सभी महिलाएं एक साथ इकट्ठी होकर एक दूसरी को झूला झुलाती हैं। झूला झूलने के साथ साथ सावन के मधुर गीत गाती हैं। हसी ठिठोलियां करती हैं।
सिंगार व पूजन
हरियाली तीज राजस्थान में बहुत ही प्रचलित है। महिलाएं 16 सिंगार करके तीज का व्रत करती हैं। अपने पति की दीर्घायु के लिए माता पार्वती की पूजा करती है व अगले दिन सुबह व्रत तोड़ती है। तीज के दिन पार्वती (तीज माता) की पूजा की जाती है।
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