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हरी वनस्पति से औषधिय उपचार

(Important Green plants Medicine)

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Green Plant environment

परिचय
introduction

पृथ्वी चारों तरफ हरे भरे पेड़ पौधों से सुसज्जित है। इन पेड़ पौधों में खाद्य, सजावट के पौधे से लेकर औषधि तक के गुण समाहित होते हैं। पृथ्वी पर चारों ओर अनगिनत ऐसी वनस्पतियां (Important Green plants Medicine) बिखरी हुई हैं जो शारीरिक रोगों के विकारों को दूर कर मानव शरीर को स्वस्थ रखती हैं और मनुष्य की काया कल्प में वृद्धि करती है और सौंदर्य को बढ़ाती है।

ऐसी वनस्पतियां गोल्डन ग्रीन भी कहलाती हैं।

आधुनिक परिवेश में जीवन की व्यस्थता व दौड़ भरी जिंदगी में व्यक्ति अपने लिए समय नहीं निकाल पाता है। इस कारण से वह अपने आसपास की वनस्पतियों के बारे में भी अवगत नहीं होता है। आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों में हरी वनस्पतियों का प्रयोग वनौषधि के रूप में किया गया है। इन वनस्पतियों में कुछ अहम औषधियां (Important Green plants Medicine) जैसे – गिलोय, नीम, गवारपाठा, तुलसी, गेहूं के जवारे, अश्वगंधा, सफेद मूसली, सनाय, गुग्गुल, गोखरू, शंखपुष्पी, मुलैठी, ब्राह्मी, आक, दूध, बेल, आंवला, शतावरी, अशोक, ज्योतिष्मती, अमलतास, अर्जुन, तांबूल, मेथी, पालक, ताल मखाना, पुनर्नवा, स्टीविया आदि अनेकों औषधि व वनस्पतियां है।

कुछ अहम औषधियां व वनस्पतियां
Some Important Green plants Medicine

गवारपाठा
Aloe vera

ग्वारपाठा को घृतकुमारी, घीकुवार, कुमारी, एलोवेरा आदि नामों से जाना जाता है।

एलोवेरा के गुदे को शुद्ध घी में भूनकर उसमें थोड़ा सेंधा नमक व काली मिर्च चूर्ण मिलाकर शुद्ध शहद के साथ सेवन करने से मधुमेह रोग में बहुत लाभ होता है।
ग्वारपाठा के 10 ग्राम गुदे में सौंठ का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से कमर दर्द ठीक हो जाता है।
घृतकुमारी के रस में समान मात्रा में प्याज का रस मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द में लाभ मिलता है।
ग्वार पाठे के रस के साथ इसबगोल का सेवन करने से आंत मरोड़े की विकृति दूर होती है।
एलोवेरा के रस में एक चौथाई मूली का रस व थोड़ी सी हींग मिलाकर सेवन करने से गैस विकृति दूर होती है।

गिलोय
Tinospora cordifolia

आयुर्वेद की बहुत ही अहम औषधि गिलोय है। यह वात विकारों व ज्वर जैसे रोगों के लिए बहुत ही गुणकारी औषधि है। यह आम तौर पर घरों के आसपास पेडों पर बेल के रूप में मिल जाती है।

इसके गुण निम्न प्रकार है –

गिलोय को कूटकर 5 से 10 ग्राम का सेवन करने से किसी भी प्रकार का बुखार जल्द ही ठीक हो जाता है।
स्त्रियों के रक्त प्रदर रोग में गिलोय का रस बहुत ही फायदेमंद होता है।
गिलोय के रस, पेठे का रस व मिश्री को मिलाकर सेवन करने से एसिडिटी या अम्लपित्त रोग ठीक होता है।
गठिया रोग में गिलोय के पानी को अच्छे से उबालकर उसे छान लें और शहद व मिश्री के के साथ सेवन करने से गठिया रोग ठीक हो जाता है।

और पढ़ें – आयुर्वेद के नियम और परहेज

तुलसी
Basil

हृदय रोग में तुलसी के ताजे पत्तों का रस शहद के साथ मिलाकर सेवन करने से लाभ मिलता है। हृदय रोगी को यह उपचार निरंतर कुछ दिनों तक करना चाहिए।
तुलसी के पौधे की जड़ों को छाया में सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ सुबह शाम चाटने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है।
तुलसी के पत्तो के रस में अडूसा या वासा के पत्तों का रस मिलाकर दिन में 2-3 बार सेवन करने से अस्थमा, दमा व खांसी में शीघ्र लाभ मिलता है।
यदि किसी को आफरा जैसी समस्या हो तो तुलसी के पत्तों के रस में पुदीना के पत्तों का रस व सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से आराम मिलता है।

गेहूं के ज्वारे
Wheat Sorghum Juice

यदि शरीर में रक्त की कमी हो तो गेहूं के ज्वारे का रस का सेवन करना चाहिए। गेहूं के ज्वारे को ग्रीन ब्लड के नाम से जाना जाता है। यह शरीर में रक्त कोशिकाओं का निर्माण करता है।
100 ग्राम गेहूं के ज्वारे के रस का सेवन करने मात्र से मूत्राशय संबंधी रोग ठीक हो जाते हैं।
गेहूं के ज्वारे का रस गुर्दों की सक्रियता बढ़ाकर पथरी रोग को ठीक करता है।
इसके रस के सेवन से मानसिक तनाव दूर होता है और सिर दर्द में लाभ मिलता है।
गेहूं के जवारे के रस के सेवन से बाल झड़ना बंद हो जाता है और लंबे समय तक बाल काले रहते हैं।

गुग्गुल
guggul

महायोगराज गुग्गुल की गोलियों को दशमूल क्वाथ के साथ सेवन करने से संधिवात, आम वात, वात रक्त आदि वात रोग ठीक हो जाते हैं।

शंखपुष्पी
Shankpushpi


शंखपुष्पी मस्तिष्क को मजबूत बनाती है व दिमाग बढ़ाती है। यह एक बहुत ही गुणकारी औषधि है।

2 ग्राम छोटी इलायची, 4 ग्राम काली मिर्च और 5 ग्राम शंखपुष्पी मिलाकर बारीक चूर्ण बना लें। इस मिश्रण में मिश्री मिलाकर रख दें। 10 ग्राम चूर्ण प्रतिदिन दूध के साथ सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ती है और मस्तिष्क सशक्त बनता है।

सनाय
Sanay

सनाय की पत्तियों को चूर्ण 2 ग्राम में छोटी हरड़ का चूर्ण समान मात्रा में मिलाकर गुनगुने जल के साथ सेवन करने से कब्ज नष्ट हो जाती है।

अश्वगंधा
Indian Withania Somnifera

मुलहेठी का चूर्णअश्वगंधा के चूर्ण में बराबर मात्रा में मिलाकर आंवले के रस के साथ सेवन करने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
स्त्रियों में प्रदर रोग के लिए अश्वगंधा चूर्ण का घी के साथ व गाय के दूध के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
अश्वगंधा चूर्ण व मिश्री को गाय के घी के साथ सेवन करने से अनिद्रा रोग ठीक हो जाता है। जो लोग कम सोते है या जिन्हें कम नींद आती है उनके लिए यह बहुत ही लाभप्रद होता है।
सुबह शाम गर्म पानी के साथ अश्वगंधा चूर्ण को सेवन करने से कमर दर्द ठीक हो जाता है।

शतावरी
Asparagus

प्रसव के बाद शतावरी चूर्ण का गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से स्तनों में दूध की वृद्धि होती है। नवजात शिशु को माता के लिए यह बहुत ही कारगर औषधि है। इसका सेवन प्रतिदिन सुबह शाम 5-5 ग्राम की मात्रा में करना चाहिए।
शतावरी का चूर्ण दूध या शुद्ध घी के साथ सेवन करने से वीर्य में वृद्धि होती है तथा नपुंसकता भी खत्म होती है।

स्टीविया
Stevia

स्टीविया की पत्तियों को चाय, कॉफी के साथ उबालकर सेवन करने से मधुमेह रोग में लाभ मिलता है।
इसका सेवन करने से मोटापा कम होता है।
स्टीविया से निर्मित च्यवनप्राश का सेवन करने से मधुमेह रोगी को लाभ मिलता है।

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