वर्ष 2024 में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि का प्रारंभ रात्रि 08 अप्रैल को 11:50 बजे होगा, प्रतिपदा तिथि 09 अप्रैल संध्याकाल 08:30 तक रहेगी।

घटस्थापना – 9 अप्रैल 2024

पहला मुहूर्त – प्रात: काल 06:02 से 10:16 तक
अभिजित मुहूर्त – 11:57 से मध्यान्ह 12:48 तक

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होगा। घोडे पर सवार होकर माता का आगमन अशुभ माना जाता है। यह समाज में अस्थिरता, तनाव, आकस्मिक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि के संकेत देता है।

नवरात्रि में घटस्थापना शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए क्योंकि यह शक्ति की देवी का अव्हान होता है।

जिस पूजा स्थल पर कलश की स्थापना की जाती है, उस स्थान की अच्छे से सफाई कर गंगाजल छिड़क लें। उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में कलश की स्थापना करें.

पूजा की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं, अक्षत, अष्टदल बनाकर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।

कलश में पानी, गंगाजल, सिक्का, रोली, हल्दी गांठ, दूर्वा, सुपारी आदि डालें। कलश को 5 आम के पत्ते रखकर ढक दें एवं कलश पर नारियल रखें।

इसके बाद एक मिट्टी का बर्तन लें और उसमें साफ मिट्टी रखें. अब इसमें कुछ जौ के दाने बो दें और उन पर पानी का छिड़काव करें, इसे चौकी पर स्थापित कर दें। दीप जलाकर भगवान श्री गणेश, मां दुर्गा एवं नवग्रहों का आव्हान करें। फिर विधिवत देवी का पूजन करें।

‘या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:’ नवरात्रि के 9 दिनों तक देवी की सुबह शाम आरती करें और इस मंत्र का जाप करें।

घटस्थापना के समय बोए जाते हैं जौ

नवरात्रि में कलश के सामने मिट्टी के पात्र में जौ या गेहूं बोए जाते हैं। मान्यता है कि सृष्टि के आरंभ की सबसे पहली फसल जौ ही थी, इसलिए इसे पूर्ण फसल माना जाता है। इतना ही नहीं नवरात्रि में बोए जौ से भविष्य से जुड़ी बातों से संकेत भी मिलते हैं।

मां दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित ये महापर्व शुद्धता की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है, इसलिए नवरात्रि में नियम, अनुशासन, स्वच्छता आदि का विशेष ध्यान रखना चाहिए। शास्त्रों में 9 दिनों के लिए विशेष नियम भी बताए गए हैं।

नवरात्रि के दिनों में सात्विक भोजन लेना चाहिए। तामसिक और मांसाहार आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही शराब एवं नशीली वस्तुओं आदि के सेवन से भी बचना चाहिए। जो लोग उपवास रखते हैं उन्हें ब्रह्मचर्य का भी पालन करना चाहिए।

पहले दिन घटस्थापना की जाती है जिसके नीचे चावल के दाने रखने चाहिए। चावल अर्थात् अक्षत को नवरात्रि के अंतिम दिन व्रत के पारण के बाद कलश के हटाने के बाद इन चावलों को घर, दुकान या प्रतिष्ठान के हर कोने में छिड़क देना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इससे धन संबंधी समस्या से निजात मिलती है और भंडार हमेशा भरे रहते हैं।

नवरात्रि में प्याज और लहसुन खाना उचित नहीं माना गया है। प्याज को तामसिक बताया गया है। इसके सेवन से व्रत खंडित माना जाता है। नवरात्रि में फल, सब्जियों का सेवन कर सकते हैं।

नवरात्रि में किए जाने वाले उपाय काफी प्रभावशाली और उत्तम फल प्रदान करने वाले माने गए हैं। नवरात्रि में मां दुर्गा को लौंग का एक जोड़ा चढ़ाना शुभफलदायी माना गया है।
इसके साथ ही नवरात्रि में एक पीले कपड़े में पांच इलायची तथा पांच सुपारी के साथ लौंग का एक जोड़ा रखें और इसे मां दुर्गा को भक्तिभाव के साथ अर्पित करें। अगले दिन प्रात: स्नान कर इसे कपड़ों सहित अपनी तिजोरी में रख लें, ऐसा करने से धन में वृद्धि होती है।

नवरात्रि व्रत का पारण विधि पूर्वक करना चाहिए। मान्यता के अनुसार कलश पर रखे नारियल की विधि पुर्वक पूजा करने के बाद किसी पवित्र नदी या बहते हुए पानी में प्रवाहित करना चाहिए।

नवरात्रि में स्थापित कलश के पानी को व्रत समाप्ति के बाद उसे घर के कोने में छिड़कना शुभ माना गया है, यदि इसके ऊपर कोई सिक्का रखा है तो इसे लाल कपड़े में लपेटकर जहां पर आप रूपये-पैसे रखते हैं वहां पर रखना चाहिए या तिजोरी में रखना चाहिए।

प्रतिदिन पूजा के बाद मां दुर्गा की आरती अनिवार्य मानी जाती है-

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By Admin

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