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देवगुरु बृहस्पति, बदलेगा कईयों का भाग्य, होगा सबको लाभ

देवगुरु बृहस्पति राशि परिवर्तन

ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति एक बहुत महत्वपूर्ण ग्रह है। यह धनु व मीन राशि के स्वामी हैं, साथ ही कर्क राशि में उच्च के मकर राशि में नीच के माने गए हैं। इनके मित्र ग्रह सूर्य, चंद्र, मंगल हैं। देवगुरु के शत्रु बुध ग्रह व शनि व शुक्र सम्मित्र माने गए हैं।

इनको गुरु, धर्म, शिक्षा, ज्ञान,संतान, विवाह सोना, ज्योतिषी आदि का कारक माना जाता है। गुरु का परिवर्तन सभी प्राणियों के कार्य-व्यापार में लाभ हानि के अतिरिक्त शासन सत्ता और न्यायिक प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है।

कुंभ राशि का स्वामी शनि ग्रह माना जाता है और यह देवगुरु बृहस्पति का कुंभ राशि में अच्छा फल देते हैं।

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Brahaspati Planet


ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री (Astrologer Nilesh Shastri) ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति पिछले करीब 137 दिनों से कर्म के देवता शनि के साथ मकर राशि में युति कर रहे थे। 5 अप्रैल सोमवार को गुरु धनिष्ठा नक्षत्र के 3 चरण मध्यरात्रि 12 बजकर 24 मिनट को यह युति समाप्त हो जाएगी। मकर राशि से कुंभ राशि में देवगुरु बृहस्पति मार्गी अवस्था में गोचर करेंगे। पिछले दिनों बृहस्पति मकर राशि में नीचस्त और वक्रीय रहे थे। अब 5 अप्रैल से 14 सितंबर तक कुंभ राशि में रहेंगे, 162 दिन अकेले रहेंगे, यह 20 जून को पुनः वक्रीय हो जायेगी। उसके बाद 14 सितम्बर को पुनः गुरु मकर राशि में वक्रीय होकर प्रवेश करेंगे। 20 नवम्बर तक मकर राशि में रहने के बाद पुनः कुंभ राशि में 20 नवम्बर को आ जाएंगे।

24 फरवरी से 25 मार्च तक अस्त रहेंगे देवगुरु बृहस्पति

ज्योतिषाचार्य पंडित नीलेश शास्त्री के अनुसार जिन जातकों की जन्म कुंडली में देवगुरु उच्च शुभ स्थान पर विराजमान है, उनको लाभ प्रदान करेंगे। आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, जिन जातकों का विवाह नहीं हो रहा है और संतान सुख प्राप्त नहीं हुआ है, उन जातकों के लिए संवत 2078 में विवाह के योग जागृत करेंगे। देवगुरु बृहस्पति और जिन जातकों की शुभ गुरु की दशा चल रही है उनको सुख शांति समृद्धि और धार्मिक यात्रा के योग बनेंगे।

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देवगुरु बृहस्पति से शुभ फल प्राप्ति के लिए उपाय

पंडित नीलेश शास्त्री के अनुसार बृहस्पतिवार पूर्णिमा एकादशी के दिन किए जाते हैं। विशेषकर गुरुवार के दिन इसका उपाय करना चाहिए।
ब्राह्मण दंपति को हरिद्राभ भोजन कराना चाहिए।
ब्राह्मण को पित वस्त्र पुस्तक दक्षिणा रत्नादि तुलसी या रुद्राक्ष हल्दी की माला भेट करें।
केसर का तिलक लगाएं, सोने का दान करें, सुनेला पुखराज धारण करें, भगवान श्री विष्णु के मंदिर में केले, पीपल, तुलसी का पौधा लगाएं, दान करें।
बुजुर्गों विधवा स्त्री महिलाओं का सम्मान करें, मदद करें, अपने माता – पिता, आचार्यों की सेवा करें।

पंडित नीलेश शास्त्री

 

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